अगर आपसे पूछा जाय कि प्रेम और नफरत में से "बड़ा कौन", तो बेशक आपका जवाब होगा प्रेम। है ना? पर क्या वास्तव में है ऐसा?
आसान सा समीकरण, यदि A = B और B = C तो A = C,..... माना A, B और C जीते जागते इंसान हैं। A अगर B से सच्चा प्रेम करता है तो B जिससे प्रेम करता है, मतलब C, से भी करेगा। अब जरा प्रैक्टिकली अपने आस पास के लोगों पर, हो सके तो खुद को भी इनमें से किसी जगह रखकर सोचिये कि वास्तव में ऐसा है क्या? अगर प्रेम वास्तविक होता तो एक दूसरे से होते हुए ये पूरे विश्व में व्याप्त हो गया होता। यदि ऐसा होता तो क्या ये खाप टाइप ऑनर किलिंग सुनाई देती।
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आप जब किसी व्यक्ति से प्रेम करते है तो सिर्फ उस 1 व्यक्ति से प्रेम करते हैं, पर जब आप नफरत करते हैं तो उसके पूरे समुदाय, जात, धर्म, रंग, नस्ल से नफरत करने लगते हैं। केवल उदाहरण के लिए, आपका कोई मित्र बिहारी हो तो आप सारे बिहार के लिए कुछ अनुभव नहीं करते पर यदि किसी बिहारी से आपका पंगा हो तो आप पूरे बिहारियों के लिए नफरत पाल लेते हैं। अब बताइए कि बड़ा कौन?
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ये प्रेम और नफरत हमें सिखाता कौन है? इस सवाल से ज्यादा वाजिब सवाल ये कि आप सीखते क्या हैं? जीजस और राम, नानक और बुद्ध सबने क्या सिखाया और हम इन्हीं के नाम पर एक दूसरे का कत्ल कर देते हैं। पढ़ते है कि मानव मात्र में प्रभु का वास है, और जात के नाम तलवारें निकाल लेते हैं। आप अपने अपने आराध्य तक की बात नहीं मानते, बताइए बड़ा कौन?
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विश्व की राजनीति देख लें या अपने भारत की, जितने भी गठबंधन बने हैं, उनकी बुनियाद क्या है? नाम भले ही UN रख ले या फलाना ढिमकाना मोर्चा, इनका फेविकोल कमोबेश प्रेम के उलट ही है। बताइए .........
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ये सवाल दसियों और उदाहरण देकर भी पूछने का मन है पर......
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