MCA के लास्ट सेमेस्टर की ट्रेनिंग पूरी कर ट्रेन पकड़ ली बनारस की और भारतीय रेलवे की मेहरबानी से 5-6 घंटे लेट उतरे कैंट स्टेशन। पहली बार घर वापस आये किसी भी बनारसी से आप पूछ लो, बिलकुल विवेकानंद वाली फीलिंग आती है कि झुक के मिट्टी को प्रणाम कर लें। ये विचार अपने में ही दबाये हम आगे बढ़े। प्रणाम क्यों नहीं किया? क्योंकि ये घटना स्वच्छ भारत अभियान से पहले की है।
स्टेशन से निकलते ही ऐसा लगा जैसे घर आ गए। माँ से मिलने की जल्दी थी पर ये बनारस भी तो माँ है, पहले इसका प्यार तो पा लूँ भरपूर, इसलिए महानगरी या टैम्पो छोड़ रिक्शे पर बैठ गया। दिल्ली वाली गहमागहमी छोड़ पूरे अलमस्त बनारसी बन गए 10 मिनट में ही।
पान का शौक नहीं पर पान बनवाया, खुद भी खाया और रिक्शे वाले चच्चा को भी खिलाया। चच्चा गोरखपुर के थे, बच्चों ने घर बाँट बूंट के मरद मेहरारू को नमस्कार कर दिया तो आ गए बनारस, और रिक्शा किराये पे चलाने लगे। बताते थे कि बूढ़ा को गठिया के साथ साथ कोई महिलाओं वाली बीमारी है जिसका नाम नहीं जानते। इलाज चल रहा है बेचू में।
70 के लमशम लग रहे थे, उनके पाँव में पट्टी बंधी थी, पूछा तो बोले, घाव लग गया था, मवाद भर गया, निकलवा के पट्टी बंधवा ली है। दया सी आने लगी, मेरे पिताजी से भी बड़ी उम्र का आदमी, घर से निकाला हुआ, बीमार बीवी।
मेरी पढाई लिखाई के बारे में पूछा, मेरा इम्तिहान भी लिया, 17 का पहाड़ा, गुजरात और जिम्बाम्बे की राजधानी, यूपी में जिलों की संख्या, 75 पैसे के हिसाब से 18 अन्डो का दाम
और मैं इंटर मैथ्स, BCA, MCA एक का भी जवाब नहीं दे पाया। चौकाघाट पुल पर उतर के धक्का लगाया।
ऐसे ही बनारस के रस को पीते पीते अपने घर को जाने वाली गली में पहुँच गया, घर सड़क से ऊपर को जाते रास्ते में है तो सड़क पर ही रुकवा लिया रिक्शा। कायदे से 20 रूपये बनते थे पर थोडा ज्यादा देने का मन था, उन्हें वहीं रुकने का बोल बैग उठाये घर पहुँच गया।
अपने घर और माँ को देख भावुक। थका था ही, ये सोचते सोचते कि जरूर भिन्डी की करारी भुजिया बनी है , 4 टब पानी से नहा के आराम से बैठ कर 11रोटी और आधी कढ़ाई भुजिया पेलने के बाद मस्त कूलर के आगे सो गया। घर आखिर घर होता है न।
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कुकर्म??????
3 घंटे बाद अचानक याद आया कि चच्चा को तो पैसे.......
भागा भागा बाहर गया, कोई नहीं दिखा, बाइक उठाई, सारंग, अशोक बिहार, पहड़िया, पाण्डेपुर, कचहरी, चौकाघाट, कैंट, सारनाथ आशापुर कहाँ कहाँ नहीं खोजा, अगले 1 महीने तक लगातार। पर.....
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यही है मेरा पाप मेरा कुकर्म जो पिछले 10 साल से मेरे पीछे पड़ा है।
पता नहीं क्यों गंगा नहाने के बाद भी ये बोझ उतरता नहीं.....
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