आप में से कितने लोगों को अपना पहला प्यार याद है? सच में सोच के बताइयेगा, पहला प्यार हाँ, पहला कामयाब प्यार नहीं।
जहां तक मुझे याद है मेरा वास्तविक वाला बिलकुल जेनुइन, दिल की धड़कन बढ़ा देने वाला पहला प्यार कक्षा चार (हमारे यहां वैसे बोलते समय मुँह से कच्छा ही निकलता है) में हुआ था। ... अरे नहीं, मैडम से नहीं, हिंदी मीडियम विद्यालय वाले हैं भई, पब्लिक स्कूल वाले नहीं जो 'मैम' से प्यार हो जाए, हिंदी वाले विद्यालयों में 'बहिन जी' होती हैं। वैसा फील नहीं आ पाता। तो वो जो थी ना, हमारे ही कक्षा में पढ़ती थी, हम लड़कों वाली रो के साइड वाले फ्रंट बेंचर और वो लड़कियों वाली रो की।
नये नये आये थे हम मथुरा से, उस प्रेम नगरी का ही कुछ प्रभाव रहा होगा शायद। पिता जी जब हेड मासाब के ऑफिस से एक शक्ल से ही लगने वाले घनघोर जालिम माट साब के हवाले किये तो गंगा मैया की कसम पैन्ट गीली होते होते रही थी, जाने कहां फँस गये, पर जब क्लास में प्रवेश किये तो दो में से एक चुटिया के अंतिम छोरों के बालों के बीच से झांकते उन बिलकुल काली आँखों को देखते ही दिल जो धड़का कि लगा, ओ बेट्टा जी, जे का भवा।
पढ़ने लिखने में हम तो बचपन से ही 'तुषार कपूर' थे, स्कूल जाना तो जैसे रोज का 'काला पानी', पर अब उस लड़की को देखने के बाद स्कूल से आते ही अगले दिन स्कूल जाने का इंतज़ार रहता। इक बार अंग्रेजी वाले माट साब सनक गये, एक एक कर सारे बच्चों से एप्पल की स्पेलिंग पूछने लगे, इतना खूंखार चेहरा था उनका बच्चे डर के मारे सब उल्टा पुल्टा बोल दें, और फिर डस्टर से दो डस्टर उलटे हाथ पर। मेरी बारी आई तो डर के मारे कुछ भी मुँह से निकाल दिया, आती नहीं थी स्पेलिंग, जो भी बोलते गलत ही बोलते पर वो कहते हैं ना कि 'जिसके ऊपर हो तुम स्वामी...' तुक्का लग गया। पूरी छियालीस बच्चों की क्लास में एक मैं और दूसरी वो मार खाने से बचे, हम दोनों को ही खड़ा कर हमारी तारीफ़ हुई।
अब तो भई, हम दो ब्रिलिएंट, नोट्स एक्सचेंज होने लगे, एक दूसरे के टिफिन शेयर, पता नहीं ब्रेड के साथ कोई वो लिसलिसा जैम कैसे खा सकता है। ओहो भाई साब, क्या दिन थे, केवल उसको इम्प्रेस करने के लिए तेरह का पहाड़ा पूरा याद कर लिया था।
हमारी ये दोस्ती धुँवाधार चल रही थी और मैं अपने अंदर हिम्मत जगा रहा था कि जैसे भी हो इस दोस्ती को रिश्तेदारी में... नहीं नहीं ये तो बड़े लोग करते हैं... दोस्ती तो 'मोहोब्बत' में बदल दूँ। बड़ी रिसर्च के बाद पक्का किया कि अपने जन्मदिन के दिन क्लास में टॉफी बांटने के बाद उसे इंटरवल में अपने दिल की बात बताई जाये।
बड़े मन से उस दिन उसे चापाकल के पास वाले पेड़ के नीचे ले आये और बोले, ए हमको तुमसे कुछ कहना है, वो क्या है न कि हम... इतना ही अभी बोल पाये थे कि उसे जोर की आक-छिं आ गई, नाक से निकला इतना बड़ा गुब्बारा पहली बार ही देखा था मैंने, हालाँकि थूक से तो हम लड़के गुब्बारे बनाते ही रहते थे, आप भी ट्राई करना, पर नाक से निकला गुब्बारा, फिर वो फट्ट की आवाज से उसका फूट जाना और होंठों से होता हुआ ठुड्डी तक पहुंचना...। एक जोर की उलटी के साथ अंदर भरा सारा प्यार बाहर।
जी यही था मेरा पहला प्यार...
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अजीत
24 अगस्त 16
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