Thursday, 16 February 2017

काला


सच कहूं तो मुझे घर अच्छा नहीं लगता, मतलब घर में रहना अच्छा नहीं लगता। शायद बीस बाइस की उम्र ही ऐसी होती है। बाकी दिन तो कॉलेज में कट जाते हैं, पर रविवार और छुट्टियां नहीं कटती, इसलिए आ जाता हूँ परेश के घर। परेश बिहारी है, बाप अमीर, भभुआ जिले के पुराने रईस। बेटे को बनारस पढ़ने भेजा तो लगे हाथ दो बिस्सा जमीन लेकर चार कमरे भी खड़े कर दिए। मकान बने साल होने को आया है और परेश बाबू यहां शिफ्ट कर गए हैं। तीन चेले भी साथ में रहते हैं इनके, बनारस वैसे तो सस्ता है पर फ्री में रहने को मिले तो क्या बुरा है।

मेरे घर से आठ दस किलोमीटर ही है तो पैदल भी आ जाता हूँ। उन दिनों जाड़ों में गुनगुनी धूप निकला करती थी, छत पर कुर्सियां डाले बैठ जाते थे हम। अपने अपने 'नशे' हाथ में पकड़े। मेरे हाथ में गिलास भर चाय और उपन्यास, उसके हाथ में कभी चुनौटी तो कभी चिलम। गांजे के शौकीन हैं बिहारी बाबू। खैर, उनके छत पर आने का असल मकसद पड़ोस की बिंदिया से आँख लड़ाना है। बिंदिया शैलजा मास्टरनी की हाइस्कूल-गामिनी बिटिया है। अल्हड़ यौवना, कुछ पाने को कुछ जानने को कुछ निछावर करने को पूरी तरह से उद्धिग्न। परेश बाबू की लॉटरी लगी हुई है। गाहे-बगाहे थोड़ा बहुत लेनदेन भी चलता रहता है।

शैलजा मास्टरनी भी नाजाने कैसी मास्टरनी हैं। प्राइमरी की टीचर हैं पर हमेशा अपने घर के अगले कमरे में, जिसे दूकान का रूप दे दिया है, बैठी हुई सौदा सुफल करते हुए दिखती हैं। इस दुकान में प्रत्यक्ष रूप से सुर्ती पान बीड़ी सिगरेट नमकीन बिस्कुट, और अप्रत्यक्ष रूप से गांजा भांग और अंग्रेजी बिकती है, दाम थोड़े महंगे हैं पर सर्विस टंच है। परेश बाबू को गांजे की आपूर्ति यहीं से हो जाती है।

अंग्रेजी उपलब्ध होने के बावजूद बेचू को देशी पसन्द हैं, पहड़िया से अकथा चौराहे के बीच कहीं भी और कभी भी दिख जाते हैं दीन-दुनिया से बेखबर, अधिकतर सोते हुए। सबको एक आँख से देखने वाला मुहावरा इन्हीं को देखकर बना है शायद, मतलब सोने के लिए कोई विशेष सुविधा की अभिलाषा नहीं हैं इनमें। किसी के भी घर दूकान का चबूतरा और बजबजाती नालियां सब बराबर। काम भगवान जाने क्या करते हैं। बेचू शैलजा मास्टरनी के पति लगते हैं।

नवाब अक्सर दिख जाता है शैलजा की दुकान पर। बाहर स्टूल पर बैठा रहता है और कभी बीड़ी का धुँआ तो कभी पान की पीक उगलता रहता है। इस गंदे मरघिल्ले से आदमी में पता नहीं क्या देखा इस मोटी शैलजा ने, हरदम बैठाए रखती है इसे। बेटी छत पर होंठों को दांत से चुभलाती रहती है और ये नवाब के सामने जब न तब अपना पल्ला ही संभालती दिखती है।

कल सामने वाले अधेड़ गुप्ता ने पत्थर में लपेट कर एक कागज फेंका था, बिंदिया ने अपनी माँ के लिए आया समझ झट से उठा कर पढ़ भी लिया। उर्दू-इंग्लिश की भरमार थी जो उसके पल्ले नहीं पड़ी तो कागज अपने बांके बिहारी को दे आई। ये महाशय भी कुछ खास समझ नहीं पाए तो मुझे थमा दिया। बकवास भरा हुआ था पत्र में पर ये तय था कि सारी शायरियां बिंदिया को समर्पित थी। बिहारी बाबू एक तो वैसे ही गर्म खोपड़ी, ऊपर से गांजा, आग में केरोसिन। शाम को गुप्ता जी के दो दांत शहीद।

थोड़ा आगे सिंह साहब भी हैं। 'कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना' की तर्ज पर ये बिजली विभाग में क्लर्क होने के बावजूद सट्टा लगाते हैं, नौकरानी में बड़ा रस लेते हैं, और अपने मकान के पिछले कमरे में जुए की फड़ चलाते हैं। उनसे सटा मकान बुधराम जी का है, पिछले साल इनकी बहु छत पर कपड़ा डालते वक्त 'दुर्घटनावश' पंद्रह फिट ऊपर से गुजरने वाली हाईटेंशन तारों की जद में आ गई थी, अब पुलिस रिपोर्ट तो यहीं कहती है। खैर...
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कुर्सी पर अधलेटा, रेलिंग पर पैर टिकाए बैठा हुआ हूँ। बिंदिया वापस जाते हुए और परेश बाबू अपने होंठ पोछते हुए आते हुए दिख रहे हैं। चार-पांच घर आगे शोर सुनाई दिया, मालुम चला कि बुधराम जी के यहां चोर घुस आया था। 10-12 लोगों की भीड़ चोर को मारते हुए सामने ही रुक गई है। परेश बाबू भी जल्दी जल्दी सुर्ती फांक कर नीचे पहुंच गए और जमा दी एक लात चोर को। शैलजा उसके लंबे बालों को पकड़ कर पूरी ताकत से हिला रही है। गुप्ता ने उसके जर्जर टीशर्ट को फाड़ दिया और नवाब ने उसकी पीठ पर पान की पीक छोड़ दी। बेचू उस चोर की मां बहन से आंतरिक सम्बंध जोड़ रहा है। बिंदिया ने बालकनी से थूक कर ही चोर के प्रति अपनी घृणा दिखा दी है। सिंह साहब पीछे से आकर उसका मुँह काला कर देते हैं। हुजूम आगे बढ़ जाता है।

चोर बारह तेरह साल का मरियल सा लड़का था, पता चला कि बुधराम के घर से कुल 300 रूपये सफलतापूर्वक चुरा लिए थे, वो तो जब भगौने से ही दूध पीने लगा और बर्तन खड़क गये तब पकड़ा गया।
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अब उस मोहल्ले में नहीं जाता, मुझे वहां के हर आदमी के मुँह पर कालिख दिखती है। कुछ छींटें अपने चेहरे पर भी महसूस करता हूँ।
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पुरानी डायरी का एक पन्ना
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अजीत
17 फरवरी 17

1 comment:

  1. आज के दौर की कड़वी सच्चाई दिखाती कहानी। 👌👌❤❤

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