Friday, 9 February 2018

गणतंत्र और हम

विरोध और असंतुष्टि हमारी नसों में कहीं बहुत अधिक गहरे पैवस्त हो चुकी हैं। हमें जब भी कुछ दिखता है तो बस कालिमा दिखती है। हम जब भी बात करते हैं तो बस दोषारोपण करते हैं, और दोष मढ़ कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं।

अभी कुछ दिन पहले हमने अपना गणतंत्र दिवस मनाया। हमने मनाया का मतलब सरकार ने, क्योंकि आप तो इस गणतंत्र को गाली दे रहे थे कि हमें क्या मिला इस लोकतंत्र से, इस संविधान से, इस देश से? एक मैसेज बड़ा चला कि हिंदुओं को बांट दिया और मुसलमानों को एकजुट कर दिया। हद्द है! हिंदुओं को बांट दिया और आप अलग हो गए। गोया आपकी कोई मर्जी नहीं, किताब में लिखे चंद अल्फाजों से आप अलग हो गए?

संविधान सभा कोई एकलौती पार्टी की सभा नहीं थी और न ही उस समय की कांग्रेस आज की कांग्रेस जैसी थी। वैसे ही जैसे उस समय की कांग्रेस आजादी से पहले वाली कांग्रेस से अलहदा थी। कांग्रेस का नाम सुनते ही मन में जो गुबार फूटता है उसे उस समय की कांग्रेस पर मत फोड़िये क्योंकि तमाम राष्ट्रवादी लोग उस समय कांग्रेस का हिस्सा थे, और उसी से निकल कर कई लोग जनसंघ इत्यादि में शामिल हुए। बहरहाल,

जब आप भारत के आईन की बुराई करते हैं तो इसे किसी से कम्पेयर भी तो कर के देखिए कि हम किनके मुकाबले बेहतर या बदतर हैं। हमारे साथ ही हमारा ही टुकड़ा पाकिस्तान भी आजाद हुआ था। उसकी हालत देखिए आज। मजहब के नाम पर बने मुल्क में 1954 तक गणतंत्र दिवस मनाया गया फिर वही पाकिस्तान दिवस हो गया क्योंकि वहां गण का, मने लोक का तंत्र रहा ही नहीं। हमारे यहां पहले दिन से यह तय था कि हम चुनाव करवाएंगे, सरकार जनता चुनेगी, एक सुदृढ न्यायपालिका होगी, मीडिया स्वतंत्र होगी। और यह सब कुछ ही दिनों में हो गया। भले ही आजादी के कई सालों तक एक ही पार्टी ने राज किया पर उसे राज करने का अधिकार यहां की जनता ने दिया। यहां के आम चुनाव अनडाक्युमेंटेड वंडर हैं क्योंकि इतने बड़े देश में चुनाव करवाना हँसी खेल नहीं।

पाकिस्तान और बहुत सारे अन्य मुल्क शीत युद्ध के समय अमेरिका या सोवियत रूस की गोदी में बैठ गए। खुदमुख्तारी हासिल नहीं कर पाया पाकिस्तान। वो दिन है और आज का दिन है कि पाक मोहताज बना हुआ है। अमेरिका भीख देता है तो उसके टैंक चलते हैं, उसके जहाज उड़ते हैं। एक हम थे जिन्होंने अपनी बुनियाद मजबूत बनाई, किसी के आगे झुके नहीं और आज का दिन है कि हम दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बनते जा रहे हैं।

पाकिस्तान की ही बात करें तो उसने अपने राज्यों को एकीकृत किया, केंद्रीकृत शासन चलाने की कोशिश की और नतीजा, बांग्लादेश अलग हो गया। बलुचिस्तान, पख्तूनख्वा और सिन्धुदेश अलग होने को तड़प रहे हैं (ये सब उस समय खुशी-खुशी राजी हुए थे)। इधर हम हैं जहां सत्ता का विकेंद्रीकरण हुआ। हमने राज्यों को उनकी संस्कृति, उनकी भाषा, उनके रिवाजों के साथ प्रशासन का अधिकार दिया। पाकिस्तान की तरह यूपी और आंध्रा और तमिलनाडु और बंगाल को एक ही लाठी से नहीं हांका, मतलब एक यूनिट नहीं बनाई। एक के बाद एक बनाते गए और आज 29+7 हैं। हमने राज्य की भावना का ख्याल किया जिससे राष्ट्रीयता मजबूत हुई। वहाँ केवल एक भाषा उर्दू को सरकारी भाषा बनाया गया जिससे बाकी भाषा-बोली बोलने वाले जब-तब बवाल काटते रहते हैं, जबकि हमारे यहां 22 सरकारी भाषाएं हैं।

पाकिस्तान तो चलो बकवास देश है। कम्पेयर करते हैं यूरोप के समृद्ध देशों से। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि क्राइम के मामले में हम उनसे कहीं बेहतर हैं। माना कि अपराध की संख्या ज्यादा है क्योंकि हम खुद बहुत ज्यादा हैं। अनुपात देखें तो हम कई यूरोपियन मुल्कों से कहीं अच्छे हैं। हमारे यहां गरीबी भी है पर हमारे यहां का गरीब से गरीब आदमी भी शॉपिंग कर सकता है, गिफ्ट दे सकता है, बेटी को पार्क में घुमा सकता है, बीवी को डिनर पर ले जा सकता है और परिवार को बस या ट्रेन से एक से दूसरे शहर ले जा सकता है। यूरोप का गरीब इस बारे में सोच भी नहीं सकता। वहां जो है वो ठीक-ठाक पैसे वालों के लिए है। वो ट्रेन या बस नहीं ले सकता, शॉपिंग नहीं कर सकता, बाहर खा नहीं सकता। या खायेगा भी तो कबाब या ब्रेड, इससे अधिक का मूल्य चुकाना उसके बस की बात नहीं। पर हमारे यहां बाजारों की इतनी वेराइटी है कि अमीर से अमीर और गरीब से गरीब के लिए सुपरमार्केट और बाजार हैं। 10 रुपये से लेकर दुनिया की सबसे महंगी डिश है यहां। यूरोप का गरीब जो ब्रेड और कबाब से ज्यादा सोच नहीं सकता, हमारे यहां मल्टीकुजिन, बोले तो चाइनीज और इटैलियन गलियों में बड़े आराम से ₹10 या ₹20 में मिल जाएगा। यहां हर तरह की लाइफ स्टाइल है।

चीन से तुलना कीजिये। चीन में लोकतंत्र वगैरह तो है नहीं, इंफ्रास्ट्रक्चर है, बड़े बड़े प्रोजेक्ट हैं। आइए, कुछ अपने प्रोजेक्ट देखिए। नवी मुंबई एयरपोर्ट, दुनिया के पांच बड़े एयरपोर्ट में से एक होगा। ऐसे ही हैदराबाद मेट्रो रेल प्रोजेक्ट है। गिफ्ट सिटी का नाम सुना होगा। गिफ्ट सिटी (Gujarat International Financial Tech-City) एक फाइनांशियल हब की तरह विकसित होता शहर है जहां दुनिया की तमाम वित्तीय संस्थाएं काम करेंगी। लंदन से पांच गुना बड़े इस हब में तकरीबन 220 से अधिक गगनचुंबी इमारतें होंगी, जिनमें से 2 तो बन भी चुकी और जिनमें विभिन्न आफिस काम करना शुरू कर चुके हैं।

नर्मदा नदी प्रोजेक्ट है जो चीन की तीन सबसे बड़ी परियोजनाओं की कुल क्षमता एवं लागत से भी बड़ी है। इसमें 3000 डैम हैं जिनसे बाढ़ नियंत्रण, बिजली, पेयजल, कृषि-सिंचाई जैसे तमाम आवश्यकताएं पूरी होंगी।

प्रोजेक्ट्स का ताऊ है अपना दिल्ली-मुम्बई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, मतलब औद्योगिक गलियारा, जो सम्भवतः दुनिया के इतिहास का सबसे बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है। 100 बिलियन डॉलर का यह प्रोजेक्ट देश के छह राज्यों के 1483 किलोमीटर से होता हुआ जाएगा जिसका कवरिंग एरिया छह लाख वर्ग किलोमीटर होगा। आज देश की राजधानी दिल्ली से देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई का माल-ढुलाई सफर 4 से 14 दिनों का है जो घटकर 14 घण्टे हो जाएगा। हार्बरों का नवीनीकरण, हाई-स्पीड रेल-रोड, छह लेन का एक्सप्रेस वे, 2 पावर प्लांट, 23 इंडस्ट्रियल हब, 6 एयरपोर्ट, 24 नए स्मार्ट शहर। यह सब बनेगा इस प्रोजेक्ट में, करीब 3 मिलियन नई नौकरियों के सृजन के साथ-साथ जीडीपी में 25% की बढोत्तरी।

यह हवाई बातें नहीं हैं। हो रहा है सब काम। हमें नहीं पता क्योंकि हमारा इंटरेस्ट नहीं है।

इस मुल्क में क्या नहीं है! नमक का रेगिस्तान, लद्दाख का ठंडा रेगिस्तान, राजस्थान का थार रेगिस्तान, वर्षावन, आइलैंड, ज्वालामुखी, विशाल नदियां, सैकड़ों झरने, चाय और कॉफी के बागान, लंबे समतल हरे मैदान, महान हिमालय, 7000 किलोमीटर का कोस्टल एरिया जिस पर कुछ बहुत ही खूबसूरत बीच हैं, महान और दुर्गम किले,  आदिम जातियां जो आज भी अपने उसी रूप में हैं, पुरातन गांव, आधुनिक शहर, टैम्पो से भी कम लागत में मंगल ग्रह तक भेजने की काबिलियत। यहां कल्चरल टूरिज्म है, प्रोफेशनल टूरिज्म है, मेडिकल टूरिज्म है, आध्यात्म है। दुनिया के सभी मजहब यहां हैं। यहां 22 तो ऑफिसियल भाषाएं हैं, 200 के करीब विकसित भाषाएं हैं, 6000 से ज्यादा बोलियां हैं। बताइये कि यहां क्या नहीं है?

एक समय था जब गोरे आप पर राज करते थे और यह केवल 70 साल पहले तक था (किसी राष्ट्र के पैमाने पर देखा जाए तो 70 साल कुछ नहीं होते)। सड़कें और सिनेमाघरों की सीटों पर लिखा होता था कि भारतीय और कुत्ते आर नॉट अलाउड। नैनीताल में 2 समांतर सड़कें हैं, ऊंची वाली पर अंग्रेज और नीची वाली पर हम "कुली" चलते थे। और आज देखिए कि आपका PM जब उनके यहां जाता है तो उनका PM हजारों की भीड़ के सामने गलबहियां डाले फोटो खिंचवाता है।

दुनिया के 90 देश मिला दें तो बनता है एक हिन्दोस्तान। इसकी इज्जत करें क्योंकि यह आपसे नहीं है, आप इससे हैं।

जय हिंद।

बाकी,
मस्त रहें, मर्यादित रहें, महादेव सबका भला करें।
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अजीत
31 जनवरी 18

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